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Southern Rice Black-Streaked Dwarf Virus -SRBSDV

बौनेपन की वजह से तेजी से प्रभावित हो रही है धान की खेती; पंजाब है सबसे ज्यादा प्रभावित

बौनेपन की वजह से तेजी से प्रभावित हो रही है धान की खेती; पंजाब है सबसे ज्यादा प्रभावित

भारत में खेती का खरीफ सीजन चल रहा है। इस मौसम में उत्पादित की जाने वाली फसलों की बुवाई लगभग भारत भर में पूरी हो चुकी है। कई राज्यों में तो अब खरीफ की फसलें लहलहा रही हैं लेकिन इस बार धान की फसल में एक रोग ने किसानों की रातों की नींद खराब कर दी है। यह धान में लगने वाला बौना रोग (paddy dwarfing)  है जो धान की फसल को बर्बाद कर रहा है। यह बीमारी वर्तमान समय में पंजाब में तेजी से फ़ैल रही है जिससे राज्य के किसान परेशान हो रहे हैं, क्योंकि इस रोग में धान के पौधे अविकसित रह जाते हैं व उनसे धान का उत्पादन नहीं हो पायेगा।


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इस रोग के कारण पंजाब राज्य के कई जिले प्रभावित हो चुके हैं। वहां के किसान इस रोग के कारण बेहद परेशान हैं क्योंकि उन्हें अपनी धान की खेती खराब होने का भय सता रहा है। इस रोग की समस्या मुख्यतः लुधियाना, पठानकोट, गुरदासपुर, होशियारपुर, रोपड़ और पटियाला में है। जहां सैकड़ों हेक्टेयर जमीन में लगी हुई धान की फसल चौपट हो रही है। बौनेपैन का रोग धान की फसलों को पूरी तरह से बर्बाद कर रहा है। इस रोग की वजह से अब तक लुधियाना जिले को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। राज्य में बड़े पैमाने पर धान उगाया जा रहा है, लेकिन अब तक 3,500 हेक्टेयर से अधिक फसल में बौनेपैन का रोग लग चुका है। अगर धान के मूल्य का हिसाब किया जाए, तो सिर्फ लुधियाना में ही अब तक इस रोग के कारण किसानों को 51.35 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। यह किसानों के लिए बड़ा झटका है क्योंकि आने वाले दिनों में यदि यह बीमारी नहीं रुकी, तो यह बीमारी और भी ज्यादा धान की फसल को अपने चपेट में ले सकती है। यह सब के चलते धान के उत्पादन में असर पड़ना तय है और इस कारण से किसानों को इस बार धान की खेती में नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।


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जब यह बीमारी तेजी से बढ़ने लगी उसके बाद पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने धान के पौधों में बौनेपन की इस बीमारी पर रिसर्च किया। जिसके बाद पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने बताया कि यह बीमारी सबसे पहले चीन की धान की खेती में देखी गई थी। उसके बाद यह दुनिया में फ़ैली है। पौधों में यह बीमारी डबल-स्ट्रैंडेड आरएनए वायरस के कारण होती है, जिसके मुताबिक इसे बौना रोग कहते हैं। इसके पहले पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने इस बीमारी को अज्ञात बीमारी के तौर पर चिन्हित किया था। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के साथ पंजाब की सरकार इस बीमारी से निजात पाने के लिए लगातार प्रयासरत है ताकि किसानों की कड़ी मेहनत से उगाये गए धान को बचाया जा सके। इस समस्या का समाधान ढूढ़ने के लिए पंजाब सरकार ने सम्बंधित विभागों को आदेश जारी किये हैं, क्योंकि यदि इस समस्या के समाधान में देरी की गई तो पंजाब के किसानों की हजारों हेक्टेयर में लगी हुई धान की खेती खराब हो सकती है, जो किसानों के लिए बड़ा झटका होगा।
बौना धान: पंजाब पर चीन की टेढ़ी नजर, अब धान बना निशाना

बौना धान: पंजाब पर चीन की टेढ़ी नजर, अब धान बना निशाना

चीन की चालाकियां और बदमाशी थमने का नाम नहीं ले रही है. कोरोना के बाद अब चीन एक बार फिर एक नए वायरस के कारण चर्चा में है, जिसकी वजह से पंजाब में धान की खेती को काफी ज्यादा नुकसान हो रहा है. पंजाब में धान उत्पादक, विभिन्न क्षेत्रों से फसल में आ रही बौनी बीमारी से चिंतित हैं और उन पर इसका भारी असर पड़ रहा है. यह बीमारी साउथ राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस (Southern Rice Black-Streaked Dwarf Virus (SRBSDV)के कारण हुई है, जो इस क्षेत्र में तेजी से फैल रहा है. एक्सपर्ट्स के अनुसार यह वायरस भी चीन से आया है. यह वायरस इतना अधिक घातक है कि इसकी वजह से पंजाब के कई क्षेत्रों में हजारों हेक्टेयर में बोए गए धान के पौधे अविकसित रह गए हैं और उनमें बौनापन आ गया है. जाहिर है, इस वजह से इस खरीफ के सीजन में धान उत्पादन पर भी बुरा असर पड़ेगा.

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पंजाब के कई इलाके प्रभावित

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू - Punjab Agricultural University - PAU) के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए नवीनतम सर्वेक्षण ने भी पुष्टि की है कि लगभग पूरे राज्य में चावल और बासमती के खेतों में, विशेष रूप से पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, रोपड़, मोहाली, होशियारपुर, पठानकोट में धान के खेतों में इस बीमारी के लक्षण देखे गए हैं. गौरतलब है कि 3,500 हेक्टेयर से अधिक खड़ी धान की फसल पहले ही आधिकारिक तौर पर साउथ राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस (SRBSDV) से प्रभावित हो चुकी है. लुधियाना में इस फसल सीजन में 2,58,600 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई हुई थी, जोकि राज्य में अब तक का सबसे अधिक है. लेकिन लुधियाना में भी 3,500 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में धान में बौनेपन की बीमारी की सूचना मिली है, जो कुल क्षेत्रफल का 1.35 प्रतिशत है. यदि फसल उपज पैटर्न और मूल्य निर्धारण को ध्यान में रखा जाता है, तो अकेले लुधियाना जिले के किसानों को अब तक 51.35 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है क्योंकि कम से कम 2,51,720 क्विंटल धान की उपज पहले ही बीमारी की चपेट में आ चुकी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, 2021-22 में, लुधियाना जिले में 7,192 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर धान की उपज दर्ज की गई थी और 2022-23 के लिए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,040 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है.

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क्या कहते है एक्सपर्ट्स

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति सतबीर सिंह गोसल ने धान उत्पादकों से कहा है कि वे बौने रोग से न डरें, जो राज्य में पहली बार एसआरबीएसडीवी (SRBSDV) के कारण सामने आया है. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के एंटोमोलॉजिस्ट (entomologist) द्वारा किए गए नवीनतम सर्वेक्षण के अनुसार, चावल और बासमती के खेतों में अविकसित पौधे देखे गए हैं. कुछ क्षेत्रों में इस रोग के गंभीर हमले के कारण कुछ पौधे मर चुके थे और कुछ सामान्य पौधों की तुलना में आधे से एक तिहाई ऊंचाई कद के थे. पीएयू के प्रिंसिपल एंटोमोलॉजिस्ट केएस सूरी ने कहा कि इन प्रभावित पौधों का अभी जड़ गहरा नहीं है और इन्हें आसानी से निकाला जा सकता है. उन्होंने कहा कि बौना रोग 25 जून के बाद बोए गए धान की तुलना में उससे पहले रोपे गए धान में अधिक दिखा है.

भयभीत है किसान

जालंधर के एक किसान कहते हैं कि हम पहली बार ऐसी बीमारी देख रहे हैं. फसल के लिए एक महीने से भी कम समय है, लेकिन हमें अच्छी उपज की उम्मीद नहीं है, वहीं भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) के नेता सतनाम सिंह साहनी ने कहा है कि हम पहले से ही अनुमान लगा सकते हैं कि बौने रोग के कारण कुल मिलाकर फसल की 10 प्रतिशत उपज नष्ट हो गई है. हालांकि, एक बार फसल चक्र पूरा होने के बाद यह नुकसान 15 से 20 प्रतिशत तक भी हो सकता है.